दौलत धूप-छांव सी चिंता देती है प्रकृति का रूप संवरता है निर्धन है कोई खुश बेटी रहने विविध सूक्ष्म जीव कोविड धनवान मेहनत अहंकार देती नहीं देती नर्स कोरोना हो हराना है पानी खुशियां संस्कार

Hindi विविध व्याधियां चिंता है देती Poems